दीदी आपके लिए


आपके,
जीवन की सुन्दर बगिया में
आने वाली है ऋतू नई
जिसकी मंजुल ठंडी बयार
देती पेडों को मृदु फुहार
फिर थपकी देती बीजों को
कहती फिरती है अरे उठो
इस मोदित-हर्षित जीवन में
तुम भी कुछ नूतन रंग भरो .

उसकी आहट सुनकर देखो
इक नया पौध है आज खिला
पाकर वो प्यार होए सिंचित
करता ये मन आज दुआ
उस पौधे को देखो, उसकी
अविरल मुस्कानों में खोजो
ऐसे फूलों को, कलियों को
जो नई उर्जा नया जोश
संप्रेषित कर इस बगिया में
दे दें तुमको इक रूप नया .

है यही तमन्ना आज की हम
जब भी फिर से इक साथ चलें
उस बगिया में,
तो हवा कहे
वो फूल जो कल मुरझाया था
इक नई शांति, नई उमंग
इक नई तरंग को लाया था .

हाँ हाँ उसने,
तेरा सपना,
तेरा भविष्य,
फिर से इक बार जगाया था .

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